बिना भवन के चल रहे 322 स्कूल, अस्सी हजार स्कूलों में लास रूम के लिए मरमत की जरूरत
भोपाल। मध्यप्रदेश के दस हजार सरकारी स्कूलों में बेटियों के लिए टायलेट नहीं है। यह शर्मनाक तस्वीर विकसित भारत की थीम पर काम करने वाले स्कूल शिक्षा विभाग के एक मई 2025 की स्थिति में जारी किए गए आंकड़े में उभरकर सामने आई है। साउथ कोरिया व सिंगापुर की सैर करने वाले स्कूल शिक्षा विभाग के आला अफसर दस साल में दो लाख करोड़ से ज्यादा खर्च करने के बाद भी सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाए हैं। प्रदेश में 322 स्कूल बिना भवन के
चल रहे हैं। अस्सी हजार से अधिक स्कूलों के लास रूम को मेजर रिपेयर की जरूरत है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत ‘स्कूल चलें हम अभियान करीब-करीब पूरे देश में चलाया जा रहा है।
मध्यप्रदेश में तो तमाम सरकारी स्कूलों में पिछले एक अप्रैल को प्रवेश उत्सव भी मनाया गया। मकसद सिर्फ यह कि बच्चे स्कूल में आएं और अपना बेहतर भविष्य बना सकें। मगर कागजों और सरकारी दावों से इतर देखें तो जमीनी हकीकत कुछ और है। खासकर मध्यप्रदेश में आलम यह है कि बच्चे कह रहे हैं कि स्कूल तो आ जाएंगे पर बैठेंगे कहां? स्कूल आ भी गए तो इसकी या गारंटी है कि उसकी इमारत हमारे लिए सुरक्षित है? सवाल और भी हैं। मसलन-हमें पढ़ाएगा कौन? सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूलों की लैबोरेट्री में हमें सिखाएगा कौन? एक ही कमरे में 5 अलग-अलग लैक बोर्ड हों तो हम पढ़ेंगे कैसे? बालिकाओं के लिए टायलेट बंद पड़े हैं।
हम यह बातें यूं ही नहीं कह रहे हैंस बल्कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत ही ऐसी है। गजब तो यह है कि सरकार के पास हालात में सुधार के लिए पर्याप्त पैसे भी हैं और वह उसे जारी भी होती है, फिर भी हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। साफ जाहिर है कहीं न कहीं प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा हमारे प्रदेश का भविष्य झेल रहा है। विकसित भारत की थीम पर काम करने वाले स्कूल शिक्षा विभाग के एक मई 2025 की स्थिति के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में कुल स्कूलों की संख्या 92032 है। इसमें 322 स्कूल बिना भवन के चल रहे हैं। 9837 में बालिका शौचालय ही बंद पड़े हैं, जबकि 2776 स्कूलों में बालिका शौचालय सुविधा विहीन हैं। 81648 स्कूलों के लास रूम को मेजर रिपेयर की जरूरत है, 62148 स्कूलों में माइनर मरम्मत की जरूरत बताई गई है।
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11396 स्कूलों में बालकों के शौचालय बंद पड़े हैं, जबकि 3100 स्कूलों में बालक शौचालय सुविधा विहीन हैं। इन हालतों के चलते पिछले साल की अपेक्षा इस बार सरकारी स्कूलों में सिर्फ 57 फीसदी तक नामांकन हुआ है। नामांकन का टारगेट 1 करोड़ 34 लाख 76 हजार ९१९ विद्यार्थियों का है। 22 अप्रैल 2025 के आंकड़े बताते हुए हैं कि टारगेट की तुलना में 77 लाख 7 हजार १७६ विद्यार्थियों का नामांकन हुआ है। यह पिछले साल की अपेक्षा 57 फीसदी है, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूल चले हम अभियान के तहत 20 मार्च से प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
एक माह में भी विद्यार्थियों का पूरा नामांकन नहीं हो पाया है। विभागीय मंत्री राव उदय प्रताप सिंह भी मान चुके हैं कि 2016-17 से लेकर 2023-24 तक एमपी के सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से 12वीं तक के 12 लाख 23 हजार 384 स्टूडेंट्स घटे हैं। इन 7 साल के दौरान सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से पांचवीं में 635434, कक्षा 6 से 8 में 483171 और कक्षा 9 से १२ में 104479 बच्चे कम हुए हैं। पिछले सत्र में नामांकन कम होने की संख्या ज्यादा थी। यानी इन विद्यार्थियों का पढ़ाई से मोह भंग गया है।
645 स्कूलों में पीने के लिए पानी नहीं
प्रदेश के 645 स्कूलों पेयजल की सुविधा से विहीन हैं। 780 स्कूलों में पेयजल सुविधा बंद पड़ी हुई है। 14577 स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के दौरान हैंड वॉश की सुविधा नहीं है, जबकि 14420 स्कूल हैंड वॉश सुविधा विहीन है। 39724 स्कूलों की बाउंड्रीवाल नहीं है। इससे इन स्कूलों में असामाजिक तत्वों के साथ आवारा
पशुओं का आना-जाना लगा रहता है। 4980 स्कूलों में खेल मैदान ही नहीं हैं।
67 हजार स्कूलों में टाट-पट्टी पर बैठ रहे बच्चे
साउथ कोरिया व सिंगापुर की यात्रा कर कर नीतियां बनाने वाले स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर पढ़ने वाले बच्चों को फर्नीचर तक उपलध नहीं करवा पा रहे हैं। स्कूलों में विद्यार्थियों को महौल देने के लिए मूलभूत सुविधाएं भी जरूरी होती हैं, लेकिन आज भी प्रदेश के 67036 स्कूलों में फर्नीचर की सुविधा नहीं है। स्वभाविक है कि इन स्कूलों में बच्चे टाट-पट्टी पर ही बैठ रहे हैं। 31955 स्कूल में जीर्ण-शीर्ण बिल्डिंग लास है।
15 हजार से अधिक स्कूलों में बिजली नहीं
मध्यप्रदेश के 15614 स्कूल ऐसे है, जिनमें आज तक बिजली की सुविधा नहीं दी गईहै। 762 स्कूलों में लायब्रेरी नहीं है। ६१ हजार 66 स्कूलों में प्रधानाध्यपक के लिए
कक्ष ही नहीं है। इन्हें सभी कार्य लासरूम में ही बैठकर करना होते हैं।
साढ़े सात सौ स्कूलों को साइंस किट नहीं मिली
प्रदेश के साढ़े सात सौ हायर सेकेंडरी स्कूलों में अभी तक साइंस किट ही नहीं मिली है। 2693 स्कूलों में इंटीग्रेटड साइंस लैब उपलब्ध नहीं है। ८७६७ स्कूलों में टिंकरिंग लैब नहीं है।
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